समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर की पुस्तक कोरोना काल के तीसरे संस्करण का विमोचन

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सागर (sagarnews.com)।समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर की पुस्तक कोरोना काल के तीसरे संशोधित संस्करण का विमोचन कार्यक्रम सोमवार को स्टेट म्यूजियम श्यामला हिल्स के सभागार में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में पुस्तक पर चर्चा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पत्रकार गिरिजा शंकर, माधव सप्रे संग्रहालय भोपाल के निदेशक विजयदत्त श्रीधर, शिक्षाविद् जयंत तोमर उपस्थित रहे।

जयंत सिंह तोमर ने कहा कि जब विचारकों को सत्ता या अंग्रेजों के विरोध में जेल जाना पड़ता था, तो वहां वे पुस्तक लिखते थे। ऐसा ही रघुजी ने कोरोना काल में किया। उन्होंने कोरोना काल के समय का उपयोग किताब लिखकर किया। इस किताब में उन्होंने विदेशनीति, अर्थनीति सामान्य जन की पीड़ा सबको दृष्टिगत रखते हुए लिखा। हम कह सकते हैं कि रघु जी की यह पुस्तक कोरोना काल की परिस्थितियों का नीर-क्षीर विवेचन है। 

गिरिजा शंकर ने कहा कि रघु भाई वन मैन आर्मी हैं जो अकेले ही विपक्ष की भमिका निभाते रहे हैं। रघु भाई राजनैतिक चेतना लाने का काम भी कर रहे हैं। आइंस्टाइन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि यह कहना मुश्किल है कि हाड़-मांस से बना यह व्यक्ति क्या-क्या चमत्कार दिखा सकता है, यह बात रघु ठाकुर जी के लिए भी सटीक बैठती है।

कमल नाथ ने कहा कि रघु जी को जन सेवक के तौर पर जाना जाता है लेकिन उनकी कोरोनाकाल पुस्तक के प्रकाशन के बाद लोग उनके कवि व लेखक रूप से परिचित हुए हैं। कमल नाथ ने कहा कि उन्होंने इंदिरा गांधी का दौर भी देखा और राजीव गांधी को 415 सीटों पर जीतकर सरकार बनाते भी देखा। इसके बाद से राजनीति में जो गिरावट का दौर आया उसे भी वे देख रहे हैं। इस दौर में रघु जी आज भी अपनी बात बिना डरे कहते हैं। कोरोनाकाल पुस्तक हकीकत बयान करने वाली पुस्तक है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि रघु जी की पुस्तक कोरोना काल इस बात का प्रमाण है कि डाॅ. रामनोहर लोहिया का अगर कोई शिष्य भारत में बचा है तो वह केवल रघु ठाकुर ही हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ज्यादातर सत्ता में ही रही, इसलिए कांग्रेस विपक्ष की राजनीति में भलमनसाहत से काम लेती है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष की भूमिका सीखनी है तो डाॅ. लोहिया और उनके शिष्य रघुजी से इसे सीखा जा सकता है। 

विजय दत्त श्रीधर ने कहा कि रघु जी ऐसे नेता हैं जो चुनाव जीतने के लिए नहीं लड़ते, बल्कि जनता से अपनी बात कहने के लिए चुनाव लड़ते और लड़ाते हैं। वे राजनेता ही नहीं बल्कि एक स्तंभकार हैं और अपना अखबार भी निकालते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना समस्या है, इसका इलाज नहीं है। इसे विज्ञान कहा जा सकता है। लेकिन कोरोना का इलाज नहीं है फिर भी अस्पताल लाखों का बिल बना रहे हैं, यह कला के सिवा और कुछ नहीं है। 

रघु ठाकुर ने पुस्तक से जुड़ा अपना अनुभव व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना महामारी जब आई तो न तो उसकी सूचना लोगों को समय पर मिली और नहीं उससे निबटने की तैयारी समय से हो सकी। उन्होंने कहा कि इस पर शोध होना चाहिए कि आखिर कैसे यह संभव हुआ कि कोरोना काल में गरीब की जेब से 2 हजार रूपए निकाल लिए गए और पूंजीपतियों की झोली में 43 लाख करोड़ रूपए मुनाफे के तौर पर आ गिरे।

उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना काल में लोगों से बहुत कुछ छिपाया। इस बात की जांच होनी चाहिए कि कोरोना कोई बीमारी है या फिर काॅर्पोरेट जगत का किया गया कोई लाभ कमाने वाला षडयंत्र है। उन्होंने कहा कि ये कैसी सरकार थी जिसने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से यह अनुबंध किया कि वह जो वैक्सीन बनाएंगे उसकी 50 प्रतिशत बाहर भेज दी जाएगी। 

कार्यक्रम के आखिर में रघु ठाकुर जी ने पुस्तक में प्रकाशित अपनी कविता “नहीं चाहिए अच्छे दिन” का पाठ किया। कार्यक्रम के आखिर में सुनील जैन जी ने धन्यावद ज्ञापन किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, रामेश्वर नीखरा, विद्वान, शिक्षाविद् साहित्यकार और राजनेता कार्यक्रम में मौजदू रहे।

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