सागर (sagarnews.com)। डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय (Sagar University) एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्त्वावधान में चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व के समग्र विकास पर पांच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं शोध संगोष्ठी का उदघाटन विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में हुआ.
कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी के सान्निध्य में नई दिल्ली के शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुलभाई कोठारी सारस्वत वक्ता के रूप उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति अध्यक्षता प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की. समारोह में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्रा, संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान, नई दिल्ली से प्रो. चाँद किरण सलूजा एवं पूर्णिया विश्वविद्यालय बिहार के कुलपति प्रो. राजनाथ यादव के अलावा स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ अजय तिवारी, म प्र हिन्दी ग्रन्थ अकादमी के अध्यक्ष अशोक कडेल, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो अम्बिकादत्त शर्मा भी मंचासीन थे.
प्रो अम्बिकादत्त शर्मा ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इस कार्यशाला की शुरुआत से ही विश्वविद्यालय के स्नातक से शोध पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के वैल्यू एडेड पाठ्यक्रम लागू हो जाएगा. डॉ. शशिकुमार सिंह ने पांच दिवसीय कार्यशाला की रूपरेखा और सत्रों का संक्षिप्त विवरण दिया.
भारतीय बोध के साथ हो चरित्र एवं व्यक्तित्व निर्माण: कुलाधिपति
कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यक्तित्व के समग्र विकास और चरित्र निर्माण के विषय में उल्लिखित बिन्दुओं पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि नीति के क्रियान्वन हेतु पहली बार भारतीय भाषा, बहुविद्यावाद, व्यवसायवाद को प्रमुख रूप से इस नीति में रखा गया है. इससे परीक्षण पद्धति में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालय को भारतीय शिक्षा पद्धति के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करनी चाहिए.
भारतीय चिंतन परंपरा में व्यक्तित्व विकास का महत्त्वपूर्ण स्थान- कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता भारत में पहली बार इस तरह की पांच दिवसीय कार्यशला का आयोजन हो रहा है. करीब 7 राज्यों से यहां प्रतिभागी उपस्थित हुए है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण विद्यार्थी डिग्री के साथ समाज में उत्तम चरित्र के साथ प्रवेश करे क्योंकि समाज से ही देश बनता है. उन्होंने इसी के अंतर्गत गौर जयंती के अवसर पर छात्र छात्रों द्वारा परोपकारी कार्य करने पर उन्हें उत्तम चरित्र दर्शाने के लिए पुरुस्कृत करने की बात कही. उन्होंने विश्वविद्यालय में चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास संबंधी गतिविधियों के बारे में भी बताया.
पोस्टर प्रतियोगिता एवं पुस्तक प्रदर्शनी मुख्य आकर्षण
संगोष्ठी के विभिन्न उपविषयों पर आधारित पोस्टर प्रतियोगिता एवं प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है जा रहा है. प्रतिभागियों के लिए योग अभ्यास सत्र एवं संवाद सत्र भी रखा गया है. कार्यशाला में स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं छात्रों द्वारा आत्मनिर्भर भारत प्रदर्शनी भी लगाईं गई है.
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