सागर (sagarnews.com): गेहूं की कटाई के बाद खेतों में नरवाई (Crop Residue) जलाने की घटनाएं बढ़ने से पर्यावरण प्रदूषण (Environmental Pollution) और मिट्टी की उर्वरता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इन घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं।
कलेक्टर संदीप जी.आर. ने नरवाई जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाते हुए भारी जुर्माने (Strict Action Against Stubble Burning) का ऐलान किया है, ताकि पर्यावरण संरक्षण (Environmental Conservation) और खेती की दीर्घकालिक उन्नति सुनिश्चित की जा सके।
कलेक्टर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत आदेश जारी कर जिले में नरवाई जलाने को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया। उन्होंने कहा कि Stubble Burning से न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि यह Soil Fertility, पशुधन और पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। यह कदम Public Safety और लोक व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है।
जुर्माने का प्रावधान
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत नरवाई जलाने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। कलेक्टर ने निम्नलिखित दरों पर जुर्माने की घोषणा की है:
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2 एकड़ से कम जमीन वाले किसान: प्रति घटना 2,500 रुपये।
2 से 5 एकड़ के बीच जमीन वाले किसान: प्रति घटना 5,000 रुपये।
5 एकड़ से अधिक जमीन वाले किसान: प्रति घटना 15,000 रुपये।
कम्बाइंड हार्वेस्टर के लिए नए नियम
कलेक्टर ने आदेश दिया है कि गेहूं की कटाई के लिए उपयोग होने वाले प्रत्येक कम्बाइंड हार्वेस्टर में स्ट्रॉ रीपर या स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम अनिवार्य रूप से लगाया जाए। बिना इन उपकरणों के हार्वेस्टर का उपयोग करने पर कानूनी कार्रवाई होगी। जिला परिवहन अधिकारी और सहायक कृषि अभियांत्रिकी विभाग इसकी सतत निगरानी करेंगे।
निगरानी और कार्रवाई की व्यवस्था
आदेश के पालन को सुनिश्चित करने के लिए उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास, सागर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उल्लंघन की स्थिति में संबंधित कृषि विस्तार अधिकारी और पटवारी संयुक्त जांच करेंगे और प्रतिवेदन तहसीलदार को सौंपेंगे। तहसीलदार उचित सुनवाई के बाद 15 दिनों के भीतर जुर्माना लगाने का निर्णय लेंगे।
कलेक्टर ने किसानों से अपील की कि वे नरवाई जलाने की प्रथा को छोड़कर पर्यावरण और खेती की दीर्घकालिक उन्नति के लिए वैकल्पिक उपाय अपनाएं। उन्होंने कहा कि यह कदम पर्यावरण संरक्षण, किसानों की आय बढ़ाने और पशुधन की सुरक्षा में योगदान देगा। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू है और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
जानें क्या है नरवाई Stubble Burning जलाने के दुष्परिणाम
जिला प्रशासन के अनुसार, नरवाई जलाने से कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं:
मिट्टी की उर्वरता पर असर: आग से मिट्टी में मौजूद लाभकारी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे खेत की उर्वरता कम होती है और फसल उत्पादन प्रभावित होता है।
पर्यावरण प्रदूषण: नरवाई जलाने से हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो वायु प्रदूषण को बढ़ाती हैं और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
पशुधन को नुकसान: भूसे की कमी के कारण पशु हानिकारक पदार्थ जैसे प्लास्टिक और कागज खाने को मजबूर होते हैं, जिससे उनकी सेहत खराब होती है और कई बार मृत्यु तक हो जाती है।
आगजनी का खतरा: अनियंत्रित आग से खेतों, प्राकृतिक वनस्पति, जीव-जंतुओं और संपत्ति को भारी नुकसान होता है।
जल संकट: ग्रीष्मकाल में जल संकट को और गहरा करने में नरवाई जलाना भी एक कारण बनता है।
नरवाई का वैकल्पिक उपयोग
कलेक्टर ने किसानों से अपील की है कि वे नरवाई को जलाने के बजाय इसके वैकल्पिक उपयोग पर ध्यान दें। नरवाई से भूसा बनाया जा सकता है, जिसका उपयोग पशु आहार के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा, भूसा उद्योगों में भी इस्तेमाल होता है और इसे 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बेचा जा सकता है। मध्यप्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी भूसे की मांग रहती है। नरवाई को सड़ने देने से मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है, जो प्राकृतिक रूप से खेती के लिए लाभकारी है।
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