सागर (sagarnews.com): डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय (Dr. Harisingh Gour University) के अभिमंच सभागार में ‘भारतीय मन, मानस और संस्कृति का पुनर्बोध’ विषय पर श्री धर्मपाल स्मृति द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (Dharmpal Memorial National Seminar) का आयोजन किया गया। मध्य प्रदेश शासन के राज्यमंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी मुख्य अतिथि थे। कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य चुनाव आयुक्त मनोज श्रीवास्तव, शिक्षा संचालक डॉ. मनीष वर्मा और धर्मपाल शोधपीठ के निदेशक संतोष वर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
भारतीय ज्ञान परंपरा और शिक्षा पर जोर (Indian Knowledge System)
डॉ. अनिल कुमार तिवारी ने प्रस्तावना में गांधीवादी विचारक धर्मपाल के चिंतन को रेखांकित करते हुए कहा, “भारतीय शिक्षा प्रणाली को पश्चिमी प्रभाव (Western Influence) से मुक्त कर स्वदेशी मूल्यों (Indigenous Values) से जोड़ना आवश्यक है।” उन्होंने धर्मपाल के उस विचार को याद किया, जिसमें उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक जड़ों (Cultural Roots) से जुड़े बिना राष्ट्रीय पुनर्जागरण (National Renaissance) को अधूरा बताया था।
NEP 2020 और मूल्य आधारित शिक्षा (Value-Based Education)
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने अध्यक्षीय संबोधन में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) को “भारतीय शिक्षा का रीढ़” बताते हुए कहा, “शिक्षा का उद्देश्य डिग्री नहीं, चरित्र निर्माण (Character Building) है।” उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित स्किल एन्हांसमेंट कोर्स (Skill Enhancement Courses), वैल्यू एजुकेशन (Value Education) और गीता-रामायण जैसे ग्रंथों को पाठ्यक्रम में शामिल करने की पहल को विस्तार से समझाया। स्वामी विवेकानंद और डॉ. कलाम के उद्धरण देते हुए उन्होंने युवाओं से “ज्ञान के साथ करुणा” का आग्रह किया।
संस्कृति और विज्ञान का समन्वय (Culture-Science Synergy)
राज्यमंत्री श्री लोधी ने भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारे पूर्वजों ने गुरुत्वाकर्षण (Gravity) और खगोल विज्ञान (Astronomy) पर हज़ारों वर्ष पूर्व शोध किया था।” उन्होंने संस्कृत को “भारतीय भाषाओं की जननी” बताते हुए शिक्षा में भारतीय भाषाओं (Indian Languages in Education) को प्राथमिकता देने का आह्वान किया।
शोध पत्रिका का विमोचन और तकनीकी सत्र
अतिथियों ने मानविकी शोध पत्रिका ‘मध्य भारती’ (Madhya Bharati Journal) के नवीन अंकों का विमोचन किया। कार्यक्रम में 6 तकनीकी सत्रों (Technical Sessions) का आयोजन किया गया, जहाँ धर्मपाल के ऐतिहासिक विश्लेषण (Historical Analysis) और सामाजिक दर्शन (Social Philosophy) पर विद्वानों ने चर्चा की।
डॉ. गौर को श्रद्धांजलि (Tribute to Dr. Gour)
मंत्री श्री लोधी और कुलपति प्रो. गुप्ता ने डॉ. हरीसिंह गौर की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके शैक्षिक योगदान को याद किया। इस अवसर पर प्रॉक्टर प्रो. चंदा बेन, प्रो. राजेंद्र यादव सहित विवि के शिक्षकगण उपस्थित रहे।
यह संगोष्ठी भारतीय शिक्षा और संस्कृति के पुनरुत्थान की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुई। आयोजकों ने घोषणा की कि इस तरह के कार्यक्रम देशभर में युवाओं को सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) से जोड़ने के लिए निरंतर आयोजित किए जाएंगे।
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