सागर (sagarnews.com)। मोती नगर थाना क्षेत्र के बड़ा करीला निवासी आरोपी की सिटी मजिस्ट्रेट कोर्ट के बाहर हार्ट अटैक से मौत के बाद मंगलवार को सुबह जिला अस्पताल में न्यायिक मजिस्ट्रेट की निगरानी में मृतक के शव का पीएम कराया गया है। परिजनों का आरोप था कि पुलिस द्वारा नरेंद्र के साथ मारपीट की गई उसके शरीर में चोट के निशान भी हैं। साथ ही थाने में ही नरेंद्र ने पुलिस वालों से सीने में दर्द होने की शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने उसे नौटंकी करार देकर बगैर इलाज के ही उसे सीधे सिटी मजिस्ट्रेट के यहां ले आए। जहां सोमवार की शाम को नरेंद्र की हृदयाघात से मौत हो गई। जिला अस्पताल में पीएम के दौरान बड़ी संख्या में समाज के लोग, व कांग्रेसी पहुंच गए। पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी ने भी पुलिस पर प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए मामले की न्यायिक जांच की मांग की। आक्रोशित परिजन और भीड़ को देखते हुए जिला अस्पताल के पीएम रूम में एसडीएम सहित आधा दर्जन से अधिक स्थानों का पुलिस बल भी तैनात रहा।
मोतीनगर थाना परिसर के बाहर मुख्य सडक़ के पास भी लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
गौरतलब है कि मोती नगर थाना क्षेत्र के बड़ा करीला में पड़ोसन की शिकायत के बाद मामला दर्ज कर सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश करने के बाद आरोपी की हार्ड अटैक से मौत हो गई। घटना सोमवार शाम की है दरअसल बड़ा करीला निवासी नरेंद्र अहिरवार 45 वर्ष का उसकी पड़ोसन से किसी बात को लेकर विवाद हो गया जिसके बाद सोमवार को उसकी पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने नरेंद्र उसके भाई और बेटे की मोती नगर थाने में शिकायत कर दी मामूली कहासुनी की बात पर पुलिस ने आरोपी नरेंद्र उसके बेटे और भाई पर 151 के तहत कार्रवाई कर शाम को उसे कलेक्ट्रेट स्थित सिटी मजिस्ट्रेट सीएल वर्मा के समक्ष पेश किया गया तभी अचानक नरेंद्र की तबीयत बिगड़ गई और कोर्ट के बाहर ही उसने दम तोड़ दिया नरेंद्र को तड़पता देख उसके साथ आए परिजन और कलेक्ट्रेट में मौजूद लोग भी वहां पहुंच गए और वहां हंगामा मच गया आनन-फानन में तुरंत मौके पर और पुलिस आई और नरेंद्र को तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की पत्नी का कहना है कि नरेंद्र को जब मोती नगर थाना पुलिस के दो जवान सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय ला रहे थे तभी उसकी तबीयत खराब होने लगी इसकी शिकायत उसने पुलिस वालों से भी की लेकिन उन्होंने नरेंद्र की एक नहीं सुनी और वह उसे सीधा कोर्ट ले गए जहां उसकी तबीयत और बिगडऩे लगी लेकिन पुलिस वालों ने नरेंद्र की तबीयत बिगडऩे की घटना को नाटक बताते हुए उसे गंभीरता से नहीं लिया जिसके बाद कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई आनन-फानन में पुलिस तुरंत नरेंद्र को जिला अस्पताल में मृत घोषित होने के बाद उसके शव को पीएम हाउस में रखवा दिया वहां मौजूद परिजन पुलिस वालों की लापरवाही का आरोप लगाते हुए इसके लिए सीधे तौर पर उन्हें जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
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