आचार्य विमद सागर महाराज के अंतिम संस्कार में पहुंचे शाहगढ़ के लोग

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सागर (sagarnews.com)। आचार्य विमद सागर महाराज के इंदौर में फांसी लगाने के बाद शोक का माहौल है। उनके ब्रह्मचर्य से पूर्व जीवन के परिवार के लोग इंदौर रवाना हुए। शाहगढ़ स्थित मकान पर सन्नाटा छाया रहा।

आचार्य 108 विमद सागर महाराज ने पिछले दिवस इंदौर में पंखे से लटकता शव मिला था। रविवार सुबह करीब 11 बजे पालकी यात्रा निकाली गई और उनका अंतिम संस्कार किया गया। शाहगढ़ और आसपास क्षेत्र के सैकड़ों लोग महाराज के अंतिम दर्शन करने पहुंचे।

विमद सागर महाराज का नाम संजय कुमार जैन था। पिता शीलचंद जैन मलेरिया इंस्पेक्टर थे, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। बताया जाता है कि विमदसागर महाराज का बचपन से ही वैराग्य की ओर रूझान था। उन्होंने छोटी उम्र में ही अपने हाथ से ही पिच्छी-कमंडल भी बना लिया था, जिसे लेकर घूमा करते थे। उनका जन्म 9 नवंबर 1976 को हुआ था। यहां शासकीय स्कूल में 9वीं तक पढ़ाई की।

वर्ष 1991 में आचार्यश्री विराग सागर महाराज शाहगढ़ आए थे। यहां संजय कुमार उनके सान्निध्य में आए। उन्होंने संत बनने की क्रियाएं शुरू कर दी थी। करीब 16 वर्ष की उम्र में विमद सागर महाराज ने 1992 में आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण किया था। वहीं, मुनि दीक्षा 1998 में अतिशय क्षेत्र बरासो भिंड में हुई थी। उनके मुनि दीक्षा गुरु आचार्यश्री विराग सागर महाराज हैं। संत बनने से पहले उनके परिवार के लोगों ने उन्हें कई बार मनाया था, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी और मुनि दीक्षा ले ली थी।

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