निर्भया सागर एप : आपात स्थिति में बटन दबाते ही महिला को मिलती है सहायता

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आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रम में दी जानकारी

सागर (sagarnews.com)। महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने निर्भया सागर एप बनाया है। आपातकालीन स्थितियों में इस एप का एसओएस बटन दबाने पर पुलिस सहायता पहुंचाई जाती है। यह जानकारी मंगलवार को आईसीसीसी का विजिट करने आईं महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यकर्ताओं, मीडियाकर्मियों, रोटरी क्लब के सदस्यों और स्कूली विद्यार्थियों को दी गई। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सागर स्मार्ट सिटी एक सप्ताह तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इसी के तहत नागरिकों को आईसीसीसी की कार्यपद्धति और उसके फायदे बताए जा रहे हैं।

कार्यक्रम के दौरान निर्भया सागर एप के संबंध में जानकारी दी गई कि आपातकालीन स्थिति में इसका एसओएस बटन दबाने पर लोकेशन और मोबाइल के दोनों कैमरों से फोटो खिंचकर कंट्रोल रूम पहुंच जाती हैं। इसी आधार पर पुलिस द्वारा तुरंत मदद भेजी जाती है। इस एप में आप सुरक्षित और असुरक्षित इलाका भी देख सकते हैं। सफर करने के लिए यह एप सुरक्षित रूट भी बताता है। सामान गुम या चोरी होने पर या आसपास कहीं कोई अपराध होता दिखे, तो इसकी सूचना भी एप के माध्यम से पुलिस को दी जा सकती है।

सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा स्थापित किया गया इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) सागर के विभिन्न प्रशासनिक विभागों की सेवाओं को एक प्लेटफार्म से जोडकर मॉनीटरिंग एवं कंट्रोल का काम कर रहा है। शहर में इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) सडक पर होने वाली सभी गतिविधियों पर नजर रखता है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सर्विसेज, डायल 108, ई-पालिका, सीएम हेल्पलाइन, पब्लिक टॉयलेट फीडबैक, सेफ सिटी कैमरा सर्विलांस जैसी अन्य सुविधाओं की मॉनीटरिंग भी आईसीसीसी से की जा रही है।

डॉ. विपिन खटीक ने बताया कि आईसीसीसी में जिला कोरोना कंट्रोल रूम स्थापित करने से प्रशासन को कोरोना रोकथाम का एक मजबूत प्रबंधन मिला है। कोरोना मरीजों, संदिग्धों, होम क्वारंटाइन लोगों एवं कंटेनमेंट जोन की ऑनलाइन निगरानी कर जिलेभर में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में सागर सफल रहा। आईसीसीसी में आईटीएमएस अनाउंसमेंट सिस्टम द्वारा लगातार कोरोना से बचाव और वैक्सीनेशन की जानकारी आमजन को दी जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान यहां 24 घंटे उपस्थित डॉक्टर्स से वाट्सएप कॉलिंग एवं टेलीमेडिसिन द्वारा जिले के लोग लगातार स्वास्थ्य परामर्श ले रहे थे। उन्होंने बताया कि वैक्सीनेशन की सतत मॉनीटरिंग भी यहां से की जा रही है। सामाजिक जागरूकता के लिए भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

बताया गया कि शहर के पांच एंट्री-एग्जिट प्वाइंट और 19 प्रमुख स्थानों पर कैमरों की नजर रहती है। ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्नीशन सिस्टम वाहन की नंबर प्लेट को रियल टाइम ट्रैक करने का काम करता है। एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम से चौराहों की रियल टाइम निगरानी कंट्रोल रूम से की जाती है। रेड लाइट वायलेशन डिटेक्षन सिस्टम लालबत्ती, स्टॉप लाइन उल्लंघन या गलत दिशा में वाहन मोडने आदि की घटनाओं को पकडता है। इससे ई-चालान जारी करने में मदद मिलती है।

इसके अलावा स्पीड वायलेशन डिटेक्षन सिस्टम से वाहनों द्वारा निर्धारित गति के उल्लंघन के मामले पकड में आते हैं। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी कॉल बॉक्स (ईसीबी) सिस्टम का उपयोग आपातकालीन स्थितियों या दुर्घटना के मामले में मदद प्राप्त करने के लिए लोगों द्वारा किया जाता है। यूनिट में लगा बटन दबाने से आईसीसीसी और पुलिस विभाग के ऑपरेटर से संपर्क होता है, जो तत्काल आपातकालीन सहायता दल को घटनास्थल पर भेजता है।

इस दौरान बताया गया कि डोर टू डोर कचरा कलेक्‍शन करने वाली सभी 48 गाडियों और सात डंपिंग ट्रकों की रियल टाइम ट्रैकिंग जीपीएस, जीआईएस और जीएसएम तकनीक पर आधारित सिस्टम से की जाती है। कचरा गाडी या ट्रक की दुर्घटना, ब्रेकडाउन या लंबे समय तक निष्क्रिय रहने पर त्वरित प्रतिक्रिया की जाती है। यदि कोई कचरा गाडी फेल होती है तो उसके आसपास मौजूद पांच गाडियों को एक-एक घंटे के लिए उसके रूट पर लगाकर कचरा उठवाया जाता है।

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