75 हजार भर्तियां हो गईं किसी में नहीं मिला 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण

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सागर (sagarnews.com)। पिछड़ा वर्ग अधिकार संगठन के राष्ट्रीय संयोजक रमाकांत यादव एवं पिछड़ा वर्ग विकास मोर्चा के प्रांताध्यक्ष महेंद्र सिंह ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि जबलपुर उच्च न्यायालय की याचिका में 15 नबंबर की पेशी में अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके वर्मा ने शासन का पक्ष मजबूती से नहीं रखा। इस कारण वेटनरी डॉक्टर की भर्तियों में ओबीसी आरक्षण में कोर्ट द्वारा स्टे लगा दिया गया है। महाधिवक्ता ओबीसी आरक्षण के विरुद्ध लंबित याचिकाओं में 8 नबंबर 12 एवं 15 नबंबर को लगातार अनुपस्थित रहे हैं। यह अनुपस्थिति उनके द्वारा आरक्षण प्रकरणों की सुनवाई में वर्ती जा रही उपेक्षा का स्पष्ट प्रमाण है। सरकार द्वारा इनके विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए।

उच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण के पक्ष समर्थन हेतु एससी-एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस सभी वर्गों के वर्ग वार क्वांटिफिएबल डाटा की आवश्यकता है। शासन में बैठे मनुवादी मानसिकता के अधिकारियों द्वारा जानबूझकर पूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा रही। जिससे ओबीसी आरक्षण रद्द होनें की संभावना है। इतना ही नहीं आरक्षण समाप्त करने के लिए आउट सोर्स भर्ती नियम बना कर, न्यायिकसेवा, मेडिकल भर्ती तथा राज्य सेवा परीक्षा नियमों में परिवर्तन कर आरक्षण समाप्त करने का षडयंत्र किया जा रहा है।

मार्च 2019 में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू होने से अब तक 75000 से अधिक पदों पर नियुक्तियां की गई है। किन्तु किसी भी भर्ती में ओबीसी को पूरा 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया गया। यह ओबीसी की 52 प्रतिशत जनसंख्या के हितों पर कुठाराघात है। शासन व प्रशासनिक अधिकारियों तथा महाधिवक्ता कार्यालय की आरक्षण विरोधी इस कार्यवाही से ओबीसी वर्ग में आक्रोश बढ़ रहा है और आगामी चुनाव में भाजपा सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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