प्रायश्चित से पापों को धोया जा सकता है

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सागर (sagarnews.com)। केंद्रीय जेल में सक्रिय सम्यक दर्शन सहकार संघ द्वारा संचालित हथकरघा केंद्र के अवलोकनार्थ एवं बंदी भाइयों को आशीर्वाद देने संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव विद्यासागर महाराज के शिष्य प्रथम निर्यापक मुनि समय सागर महाराज का मंगल आगमन केंद्रीय जेल में हुआ।

गुरुदेव ने जेल में चल रहे हथकरघा केंद्र का अवलोकन किया। गुरुदेव के समक्ष जेल अधीक्षक राकेश भांगरा, जेलर सत्यवान मिश्रा, डिप्टी जेलर नागेंद्र चौधरी ने श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया।

मुनिश्री समय सागर महाराज ने कहा पूर्व कर्म के उदय में आने से पाप हुआ करते हैं। यह अपराध अनंत कालीन है। शरीर के माध्यम से अपराध होता चला जाता है। अपराध शरीर के कारण ही होते हैं, अपराध को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है। आप लोगों ने अपना अपराध नहीं करने का, प्रायश्चित का भाव बनाया है, इससे सारे पापों को धोया जा सकता है। मुनिश्री ने कहा कि हमें वृक्ष से फल एवं फूल प्राप्त होते हैं उसी तरीके से क्या मांस प्राप्त करना संभव है? पशु पक्षियों को मारकर मांस प्राप्त होता है। संसार के सभी प्राणी सुख चाहते हैं। आप सभी ने संसार के सभी प्राणियों के सुख की प्रार्थना की है तो इस भावना से हम भी सुखी हो सकते हैं। अपने भावों में दया का भाव जागृत करें। पुरुषार्थ करना जरूरी है। जैसे अपने पैर में कांटा चुभ जाने पर पीड़ा होती है कांटे को निकालने का प्रयास करते हैं, वैसे ही जब पशु, पक्षियों की हिंसा करते हैं वह मूक प्राणी कुछ बोल नहीं पाते। हमारा कर्तव्य है पशु पक्षियों के जीवन के प्रति सोचना चाहिए। दया का भाव रखने वाला ही अहिंसा का उपासक है। पतित से पावन बना जा सकता है। प्रत्येक जीव के पास भगवान बनने की क्षमता विद्यमान है। गलती को स्वीकार करने से पाप गलता चला जाता है। प्रतिक्षण परिणामों में अंतर आता है, कर्मों को सुधारने के लिए अपने परिणामों को सुधारना आवश्यक है। अपने की अपेक्षा दूसरे को सुखी देखने की आवश्यकता है, यही सिद्धांत अपनाएं।

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