एरण को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने की आवश्यकता – कुलपति

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सागर (sagarnews.com). आज़ादी के 75 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, के पुरातत्त्व संग्रहालय में बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक विरासत पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी का आरम्भ पण्डित राजा मिश्रा द्वारा स्वस्तिक वाचन, सरस्वती वंदना एवं अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। संगोष्ठी के आरम्भ में विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर एवं विभाग के संस्थापक प्रो. केडी वाजपेयी की मूर्तियों पर माल्यार्पण किया गया।

कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि ‘जिस प्रकार मनुष्य के शरीर का केन्द्र बिन्दु उसका हृदय होता है। उसी प्रकार भारत का हृदय स्थल बुन्देलखण्ड है। अपने वक्तव्य में कुलपति द्वारा बुन्देलखण्ड के प्रमुख पुरास्थल एरण को वैश्विक पटल पर प्रदर्शित करने के लिए उसके संरक्षण एवं संवर्धन सहित बुन्देलखण्ड के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए भी प्रयास करने की बात कही गयी।

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पद्मश्री रामसहाय पाण्डेय ने कहा कि हम वर्ष 1975 से विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं। ऐसे कई अवसर आये जिनमें मुझे अपनी विरासत राई नृत्य के संरक्षण, संवर्धन एवं विकास के लिए विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में उपस्थित होने का अवसर प्राप्त हुआ। इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. बीके श्रीवास्तव ने कहा कि भारतवर्ष में पाषाणकाल से लेकर आधुनिक काल तक के इतिहास में बुन्देलखण्ड की महत्वपूर्ण भूमिका है।

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